.Gadar: Ek Prem Katha साल 1947 में हुए भारत-पाकिस्तान के बंटवारे पर आधारित है। इस फिल्म में अमीषा पटेल एक पाकिस्तानी मुस्लिम लड़की के किरदार में थीं तो सनी देओल भारतीय सरदार के रोल में थे। दोनों को प्यार हो जाता है, बच्चे हो जाते हैं और फिर सकीना के पिता अशरफ अली उसे अपने साथ लेकर जाते हैं। दरअसल ये कहानी एक सिपाही की रियल जिंदगी पर आधारित है, जिसकी प्रेम कहानी बेहद दर्दभरी थी।
जबसे सनी देओल और अमीषा पटेल की फिल्म ‘गदर 2’ का पोस्टर और रिलीज डेट सामने आई है फैंस बेसब्री से ट्रेलर और फिल्म का इंतजार कर रहे हैं। साल 2001 में रिलीज हुई फिल्म ‘गदर- एक प्रेम कथा’ ने बॉक्स ऑफिस पर तगड़ी कमाई की थी, और भारत की सबसे ज्यादा कमाई करने वाली बॉलीवुड फिल्म बन गई थी। फिल्म में तारा सिंह और सकीना के रोल में सनी देओल और अमीषा पटेल की केमिस्ट्री खूब पसंद की गई थी। क्या आप लोग ये बात जानते हैं कि अनिल शर्मा के निर्देशन में बनी ‘गदर’ एक सच्ची घटना पर आधारित है? यह उसी वक्त की घटना है जब भारत और पाकिस्तान में बंटवारा हुआ था।
पत्नी को लेने पाकिस्तान पहुंच गए थे बूटा सिंह…
यह कहानी बूटा सिंह नाम के एक सिपाही की है जो ब्रिटिश सेना के सैनिक थे। भारत-पाकिस्तान बंटवारे के वक्त बूटा ने एक मुस्लिम लड़की जैनब की जान बचाई थी। दोनों को प्यार हुआ और दोनों ने शादी कर ली। दोनों की एक बेटी भी हुई। मगर जैनब मुस्लिम थी इसलिए उन्हें पाकिस्तान भेज दिया गया। बूटा सिंह को नहीं जाने दिया। वो गैरकानूनी रूप से पाकिस्तान में घुस गए। उन्होंने जैनब के परिवार से संपर्क करने की कोशिश भी की, मगर उन्होंने उससे सारे रिश्ते खत्म करके जैनब की शादी उसके चचेरे भाई से करा दी। उधर गैरकानूनी रूप से पाकिस्तान घुसने के आरोप में बूटा सिंह को पकड़ लिया गया। उन्होंने बताया कि वो पाकिस्तान अपनी पत्नी जैनब को लेने आया है, मगर जैनब ने इस शादी को मानने से इनकार कर दिया, उसने अपनी बेटी और पति दोनों के साथ वापस आने से भी मना कर दिया, इससे बूटा सिंह का दिल टूट गया।
ट्रेन के आगे कूदकर बूटा सिंह ने दी जान…
निराश होकर बूटा सिंह साल 1957 में बेटी के साथ ट्रेन के आगे कूद गए, जिसमें बेटी की तो जान बच गई मगर बूटा सिंह हमेशा के लिए इस दुनिया से चले गए।
नहीं पूरी हो पाई थी बूटा सिंह की आखिरी इच्छा…..
बूटा सिंह की आखिरी इच्छा थी कि उन्हें मौत के बाद बरकी गांव में दफनाया जाए, जहां जैनब का परिवार बंटवारे के बाद बसा था। मगर गांववालों ने वहां दफनाने से मना कर दिया, जिसके बाद उनके शरीर को मिआनी साहिब कब्रिस्तान में दफनाया गया था।